केंद्र सरकार जब भी परेशानी में घिरती है और निकलने का रास्ता सूझ नहीं पाता है तो ऐसे समय में संकट मोचक बन कर आते हैं एनएसए अजित डोवाल। चाहे अनुच्छेद 370 निष्क्रिय करने के दौरान जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखना हो, या दिल्ली दंगों को काबू में करना या फिर अब चीन के साथ तनाव की स्थिति को ठीक करना। एनएसए डोवाल ने दो महीने से भारत-चीन सेनाओं के बीच गलवान घाटी में उपजे तनाव को दूर करने का काम किया है। उनके इस प्रयास से घाटी से चीनी सैनिक हटने लगे हैं।
नई दिल्ली. चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) में घुसपैठ करने के कारण पिछले कई महीनों से भारत-चीन की सेनाओं (Army) में तनाव की स्थिति चल रही थी। नए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख स्थित गलवान घाटी (Galwan Valley) पर दोनों सेनाओं में कई बार झड़प की खबरें आईं। इसके बाद जून महीने में तो दोनों और के सैनिकों में हाथापाई हुई और इसमें भारत के 20 और चीन के 40 सैनिकों की मौत हो गई। इसके बाद कई बार दोनों देशों में बातचीत के दौर चले, लेकिन स्थिति जस की तस ही रही। केंद्र सरकार ने चीन को सबक सिखाने के लिए उसके 59 ऐप्स (Apps) पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद चीन सरकार ने इसे गलत ठहराते हुए विवाद बढ़ाने की कोशिश की।
दूसरी ओर, सेना के उच्चाधिकारियों की ओर से लगातार बैठकें और वार्ता कर तनाव को दूर करने की कोशिश की। इधर, चीन की सेना गलवान घाटी से पीछे हटने को तैयार ही नहीं थी। इस विवाद को सुलझाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोवाल (Ajit Doval) को सरकार ने इस मसले को सुलझाने का बीड़ा दिया। इस पर रविवार को एनएसए डोवाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) से फोन पर तनाव कम करने को लेकर करीब दो घंटे वार्ता की। इसके बाद गलवान घाटी में तैनात चीनी सैनिक दो किलोमीटर तक पीछे हट गए। साथ ही, वहां लगाए गए टेंट भी हटाए जा रहे हैं। जिन प्वाइंट्स PP-14, PP-15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया में संघर्ष की स्थिति बन रही थी, वहां से भी चीनी सेना की तैनाती खत्म की जा रही है।
विदेश मंत्रालय (External Affairs Ministry) ने मामले पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि एनएसए डोवाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को टेलीफोन (Telephonic) पर बात की जिसमें वे एलएसी से सैनिकों के जल्द से जल्द पीछे हटने पर सहमत हुए। अजित डोभाल और यांग यी के बीच में सहमति बनी है कि भारत और चीन सीमा क्षेत्र (India-China Border) में मामले में जहां भी असहमति (भिन्नता, विवाद) है, उसे टकराव का रूप नहीं बनने देंगे। दोनों देश सहमत हैं कि इस आधार पर सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखेंगे। इसके लिए यथासंभव, यथा शीघ्र कुछ चरणों में विवादित क्षेत्र से दोनों देश अपनी सेना को हटाकर पहले की स्थिति में ले जाएंगे।
दोनों शीर्ष स्तर के विशेष प्रतिनिधियों ने सहमति जताई है कि दोनों देश इस सहमति का पालन करेंगे और एक दूसरे को इस सहमति के प्रति आश्वस्त करेंगे। भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलसीए) का सम्मान करेंगे और कोई भी देश सीमा क्षेत्र में एकतरफा कार्रवाई जैसा कदम नहीं उठाएगा। इतना ही नहीं सहमति का आधार यह भी है कि दोनों देशों के वर्किंग मैकेनिज्म इस पर कार्य करते रहेंगे, ताकि इस तरह के टकराव की पुनरावृत्ति न होने पाए। इसके लिए दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के निबटारे में सहयोग और समन्वय के लिए बना सैन्य अधिकारियों, राजनयिकों का वर्किंग मैकेनिज्म तय प्रोटोकॉल (Protocol) के आधार पर अपना काम करता रहेगा। भारतीय और चीनी गश्ती टीमों के बीच लद्दाख में फेसऑफ की शुरुआत 5-6 मई यानी 60 दिन पहले पैंगौंग त्सो के उत्तरी तट पर हुई हिंसक झड़प के साथ हुई थी। तीन दिन बाद, सिक्किम (Sikkim) के नाकु ला (Naku La) में एक और ऐसी ही झड़प दोनों सेना के बीच हुई। इस झड़प में चार भारतीय और सात चीनी सैनिक कथित रूप से घायल हो गए।