आम मत | नई दिल्ली
गैंगस्टर विकास दुबे का एसटीएफ ने शुक्रवार सुबह एनकाउंटर कर दिया। शाम को लॉ एंड ऑर्डर एडीजी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहानी बताई। पुलिस भले ही कहती रहे कि विकास दुबे की कार पलट गई थी। उसके बाद विकास ने पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनी और भागने की कोशिश की। जब उसे सरेंडर के लिए कहा तो उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी। इस पर जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। पुलिस की यह कहानी कई सवाल खड़े करती है। सवाल उस टीयूवी 300 गाड़ी को लेकर भी उठ रहे हैं, जिसमें विकास सवार था। यूपी पुलिस द्वारा गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर की कार्रवाई पर आम मत के 5 सवाल
पहला सवाल- विकास का वाहन बदलने का क्या कारण था?
- उज्जैन से कानपुर तक के सफर में विकास की गाड़ी दो बार बदली गई। यूपी की सीमा तक वह एमपी पुलिस की इनोवा में बैठा था। इसके बाद उसे यूपी पुलिस की टाटा सफारी में बैठाया गया। एनकाउंटर के वक्त उसे इनोवा से उतारकर टीयूवी 300 में बैठाया गया। सवाल ये उठता है कि विकास की गाड़ी बदलने का क्या कारण था ? क्योंकि घटनास्थल से महज 17 किमी दूर ही कानपुर है।
दूसरा सवाल- उज्जैन से कानपुर तक एसटीएफ के बेड़े में तीन गाड़ियां थी, टोल के बाद दो गाड़ियां और क्यों जुड़ीं ?
- घटनास्थल की ओर जाते समय जिस टोल प्लाजा को पार किया गया था। उसके सीसीटीवी के अनुसार , विकास दुबे को ले जाते समय पुलिस की कुल तीन गाड़ियां थी। इनमें से एक में विकास सवार था। लेकिन घटनास्थल से कुछ दूर पहले इस बेड़े में दो अन्य गाड़ियां शामिल हो गईं। पुलिस की दो और गाड़ियों का इस बेड़े में शामिल होने का क्या कारण था?
तीसरा सवाल- गाड़ी घिसटी थी तो सड़क पर निशान क्यों नहीं आए?
- देश के एक बड़े न्यूज चैनल के अनुसार, सड़क पर किसी प्रकार के टायरों के निशान नहीं थे। पुलिस ने बताया था कि मीडिया के कारण गाड़ी तेज भगाई गई थी। इसके कारण वह पलटी और करीब 100 मीटर तक घिसटती चली गई। अगर कोई भी वाहन 100 मीटर तक घिसटेगा तो उस पर घिसटने के निशान जरूर आएंगे। लेकिन इस टीयूवी 300 पर घिसटने के किसी प्रकार के कोई निशान नहीं है। गाड़ी के शीशे भी सही हैं। घिसटने जैसे कोई भी निशान सड़क पर क्यों नहीं मिले ? क्या एनकाउंटर करने के लिए गाड़ी को वहां खड़ा करके पलटा गया था?
चौथा सवाल- आस-पास के लोगों को क्यों नहीं पता चला एक्सीडेंट का?
- स्थानीय लोगों के अनुसार, उन्होंने एक्सीडेंट होने के बारे में नहीं सुना और ना ही इसके बारे में उन्हें पता ही चला। हालांकि, उन्होंने फायरिंग की आवाज जरूर सुनी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब लोगों को गोली चलने की आवाज आ गई तो कार के पलटने की आवाज क्यों नहीं आई?
पांचवां सवाल- मीडिया को आगे बढ़ने से क्यों रोका गया ?
- विकास दुबे को लेकर जब एसटीएफ का काफिला उज्जैन से कानपुर की ओर बढ़ रहा था। तब मीडिया के वाहन उनके पीछे पीछे चल रहे थे। जिस ढाबे पर टीम खाना खाने के लिए रुकी। वहीं, मीडियाकर्मी भी आकर रुके। इस पर एसटीएफ अफसरों ने उनका पीछा करने से मना किया। जब एसटीएफ ने टोल पार किया तो सचेंडी थाना पुलिस ने मीडिया को आगे नहीं बढ़ने दिया। हालांकि उन्हें 15 मिनट बाद खबर आई कि विकास दुबे की गाड़ी पलट गई है। इस पर मीडिया और स्थानीय पुलिस घटनास्थल की ओर बढ़े। यह जगह टोल से आधे घंटे की दूरी पर थी। वहां जब मीडिया पहुंचा तो उन्हें बताया गया कि विकास की गाड़ी पलट गई थी। उसने फायरिंग करते हुए भागने की कोशिश की, जवाबी फायरिंग में वह मारा गया। सवाल यह है कि मीडिया को आगे बढ़ने से क्यों रोका गया? क्या एसटीएफ ने तय कर लिया था कि अब विकास का एनकाउंटर करना है?