आम मत | नई दिल्ली
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का 31 दिनों से आंदोलन जारी है। समझौते के लिए सरकार की ओर से पिछले दिनों एक पत्र भी भेजा गया था जिस पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हमारा प्रस्ताव यह है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए। साथ ही, 4 शर्तें भी रखी हैं। दूसरी ओर, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि बिहार से फोन आया था। कॉल करने वाले ने जान से मारने की धमकी दी। कॉल रिकॉर्डिंग पुलिस को भेज दी है। अब पुलिस तय करेगी कि क्या करना है।
किसानों की 4 शर्तें
- तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे।
- कमीशन फॉर द एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑर्डिनेंस के तहत सजा के प्रोविजन किसानों पर लागू नहीं हों। ऑर्डिनेंस में संशोधन कर नोटिफाई किया जाए।
- इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
सरकार ने तथ्यों को छिपाकर जनता को किया गुमराह
कृषि मंत्रालय के सचिव की ओर से भेजे गए पत्र के जवाब में किसान मोर्चा ने कहा, ‘अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। सरकार ने इसे तोड़-मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी।
30 दिसंबर को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे
किसानों ने सरकार को जो चिट्ठी लिखी है, उसमें कहा है कि सरकार को पिछली मीटिंग्स के बारे में गलत जानकारी नहीं फैलानी चाहिए। सरकार की पूरी मशीनरी ने किसान आंदोलन को बदनाम करने की जो मुहिम छेड़ रखी है, उसे तुरंत बंद करना चाहिए। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में टोल स्थायी तौर पर खुले रहेंगे। 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर से ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। हम दिल्ली समेत पूरे देश के लोगों से अपील करते हैं कि यहां आकर हमारे साथ नया साल मनाएं।