आम मत | लखनऊ
हाथरस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया। मामले की सुनवाई सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई। दो जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार के अधिकारियों को तलब किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौजूद अधिकारियों से पूछा कि अगर आप में से किसी के परिवार की बेटी होती तो क्या आप ऐसा होने देते। परिवार ने कहा कि अंतिम संस्कार के बाद परिवार का कोई भी साथ मौजूद नहीं था सिर्फ कुछ गांव वालों को बुलाकर वहां पर गोबर के उपले रखवा दिए गए थे। कोर्ट में डीएम के उस बयान का का भी जिक्र हुआ जिसमें उन्होंने पीड़िता को कोरोना वायरस होने की बात कही थी।
साथ ही, पीड़ित परिवार को भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी कई अधिकारी अदालत में मौजूद रहे। हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताई। मामले की सुनवाई 2 नवंबर को होगी।
पीड़िता के परिजनों ने कोर्ट में भी कहा कि अंतिम संस्कार उनकी सहमति के बिना रात के समय कर दिया गया। परिजनों ने यह भी कहा कि अंतिम संस्कार में हमें शामिल तक नहीं किया गया। परिजनों ने आगे जांच में फंसाए जाने की आशंका जताई और साथ ही सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई।
पुलिस के होने पर कैसी बिगड़ती कानून व्यवस्था
अंतिम संस्कार को लेकर पीड़ित परिवार के आरोप पर जिलाधिकारी ने कहा वे वहां बहुत लोग मौजूद थे। कानून व्यवस्था बिगड़ने के कारण अंतिम संस्कार का फैसला लिया गया। इस बयान पर पीड़िता क परिजनों ने सवाल किया कि वहां भारी तादाद में पुलिस बल मौजूद था तो कानून व्यवस्था कैसे खराब होती?
अगली सुनवाई के दिन पीड़िता के परिजनों के आरोप पर बहस होगी। अदालत की ओर से इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया गया था, जिसमें परिवार और सरकार का पक्ष पूछा गया था। गौरतलब है कि इस मसले को लेकर परशुराम सेना ने भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर किया है, जिसपर अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होनी है।