आम मत | नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की अधिसूचना पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि क्रेडिट कार्ड धारकों को ब्याज वापसी का फायदा नहीं देना चाहिए था। वे कर्जधारक नहीं हैं। उन्होंने किसी प्रकार का कोई लोन नहीं लिया है। इसलिए उन्हें लोन मोरटोरियम के दौरान लगे ब्याज पर ब्याज को वापस नहीं करना चाहिए था।
याचिकाकर्ता बिजली उत्पादक कंपनियों ने कहा कि उन्हें ‘दुर्व्यवहार करने वाले वर्ग’ का मान लिया गया है। उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 7 मार्च को कोरोना वाले दौर से पहले ही संसदीय समिति उनके कर्ज रीस्ट्रक्चरिंग की मांग का समर्थन किया था, लेकिन ज्यादातर बैंक हमारे लोन को रीस्ट्रक्चर करने को तैयार नहीं हैं।
बिजली उत्पादन कंपनियों पर 1.2 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, लेकिन एफपीआई या एलआईसी को इनमें पैसा लगाने की इजाजत नहीं दी जा रही।