आम मत | हरीश गुप्ता
-अजमेर विकास प्राधिकरण बना गांधारी, वन और खान विभाग बने धृतराष्ट्र
-80 बीघा जमीन में से 60 बीघा पर थे पहाड़, दिन रात चल रहा काम
जयपुर। राज्य में भू-माफियाओं के हौसले काफी बुलंद हैं। यही कारण है कि नदी नाले की भूमि पर कब्जा छोटी बात हो गई है। अब एक कारोबारी अजमेर में वन विभाग की पहाड़ी को तोड़-तोड़ कर मैदान में तब्दील कर भव्य रिसोर्ट तैयार कर रहा है।
मामला अजमेर में नेशनल हाईवे 58 से शहर में घुसते ही शहर की प्राइम लोकेशन का है। पुलिस के हिसाब से यह पहाड़ी अलवर गेट थाना इलाके में आती है। मुख्य सड़क से लेकर दूर तक जहां निगाह जाए जमीन व पहाड़ी करीब 80 बीघा जमीन में है।
सूत्रों ने बताया कि इस भू कारोबारी ने यहां दो-तीन सालों से काम चला रखा है। सड़क से ही पहाड़ी की शुरुआत थी, आज करीब एक किलोमीटर तक पहाड़ी न सिर्फ ध्वस्त कर दी, बल्कि ऐसे मैदान में ऐसे तब्दील कर दी मानों यहां कभी पहाड़ी थी ही नहीं।
पहले और नए मास्टर प्लान में भी क्षेत्र को रखा गया है ग्रीन जोन में
सूत्रों के अनुसार, यह क्षेत्र पहले भी ग्रीन जोन में था और 3 दिन पहले जारी हुए नए मास्टर प्लान में भी इसे ग्रीन वन में ही रखा गया। अब एक माह का समय देते हुए रिव्यू पर आपत्तियां मांगी गई है। आपत्तियों पर सुनवाई समिति करेगी। इस भू कारोबारी ने भी आपत्ति दर्ज करवाई है। सूत्रों की मानें तो इस भू कारोबारी ने भी समिति के एक सदस्य से जुगाड़ बिठाया है। मुलाकात भी हो गई, दोनों के बीच ‘फर्स्ट इंप्रेशन’ भी हो गया। सदस्य ने ग्रीन जोन बदलने का भी भरोसा दिला दिया। उसके बाद ‘लास्ट इंप्रेशन’ भी हो जाएगा।
भू-माफिया ने समिति को 35 बीघा बताई 80 बीघा जमीन
सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस कारोबारी ने समिति सदस्य को 35 बीघा जमीन बताई है, जबकि जमीन वास्तव में करीब 80 बीघा है। सूत्रों के मुताबिक, यह भू-कारोबारी केवल पैसे की भाषा जानता है, इसलिए सारे काम उसी दम पर करवाता है। शायद यही कारण है कि अजमेर विकास प्राधिकरण, खान व वन विभाग को पहाड़ी कटती नजर नहीं आ रही। लोगों में खास चर्चा का विषय बना हुआ है।