आम मत | नई दिल्ली
लद्दाख सीमा पर LAC पर तनाव के तनाव के बीच चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा किया है। चीन के विदेश मंत्रालय झाओ लिजिन ने सोमवार को चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी है जो चीन का ‘दक्षिणी तिब्बत’ इलाका है। हाल ही में 29-30 अगस्त को पैगोंग लेक की दक्षिण सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। लिजिन ने लापता पांच भारतीयों को लेकर कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
LAC पर तनाव
गौरतलब है कि भारतीय थल सेना ने अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले से पांच लोगों का ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) के सैनिकों द्वारा कथित तौर पर अपहरण कर लिए जाने का मुद्दा चीनी सेना के समक्ष उठाया है।
LAC पर सर्दी के लिए राशन सहित अन्य जरूरी सामान को स्टॉक करने की तैयारी में सेना
थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने लद्दाख दौरा कर सेना की तैयारियों का जायजा लिया था। साथ ही, सर्दी में सैनिकों के राशन, खाने-पीने, बैरक और दूसरे लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर की भी समीक्षा की। ये इसलिए क्योंकि अक्टूबर से पूर्वी लद्दाख में जमकर बर्फ पड़नी शुरू हो जाएगी और तापमान माइनस (-) 40 डिग्री तक पहुंच जाएगा। जानकारी के मुताबिक सेना की उत्तरी कमान की ऑप्स-लॉजिस्टिक विंग और सेना मुख्यालय स्थित एमजीओ (मास्टर जनरल ऑर्डिनेंस) ब्रांच युद्धस्तर पर सैनिकों की जरूरतों को पूरा करने में जुट गई हैं।
अतिरिक्त सैनिकों के लिए लॉजिस्टिक को पूरा करना बड़ी चुनौती
जानकारी के मुताबिक, मई महीने में चीन से शुरू हुए विवाद से पहले तक पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर एक डिवीजन तैनात रहती थी यानि करीब 20 हजार सैनिक। अब यहां 40-50 सैनिक तैनात हैं यानि लगभग पूरी एक कोर। ऐसे में इन अतिरिक्त सैनिकों के लॉजिस्टिक को पूरा करना सेना के लिए एक बड़ी चुनौती है।
उनके लिए स्पेशल-क्लोथिंग (जैकेट, बूट्स इत्यादि) खाना-पीना, राशन और रहने के लिए बैरक भी तैयार करने हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इसके लिए हर सैनिक पर करीब एक लाख रुपए का खर्च आएगा।