नई दिल्ली. पूरे विश्व में कोरोना (Corona) के कारण संकट आया हुआ है। सभी क्षेत्रों में नौकरियों पर संकट आ चुका है। भारत (India) में विभिन्न सेक्टरों में लोगों को नौकरियों (Jobs) से निकाला जा रहा है। वहीं, देश में स्टार्टअप (StartUp) को लेकर फिक्की (Ficci) और आईएएन (IAN) के सर्वे से स्टार्टअप के खराब हालत का खुलासा हुआ है। इंडस्ट्री चैम्बर फिक्की और इंडियन एंजेल नेटवर्क (IAN) के सर्वे (Survey) से पता चला है कि देश के 70 फीसदी स्टार्टअप की हालत खराब है, जबकि 12 फीसदी बंद हो चुके हैं। भारतीय स्टार्टअप पर कोविड-19 का असर नामक इस सर्वे के नतीजों के अनुसार, 33 प्रतिशत स्टार्टअप ने अपने निवेश के निर्णय को रोक लिया है। वहीं 10 फीसदी के मुताबिक उनकी डील (Deal) खत्म हो गई है। महज 22 प्रतिशत स्टार्टअप के पास ही अगले छह महीनों के लिए खर्चों को वहन करने के लिए पर्याप्त पूंजी है। 68 फीसदी परिचालन और प्रशासनिक (Administrative) खर्चे को कम रहे हैं। 30 प्रतिशत स्टार्टअप ने कहा कि अगर लॉकडाउन और ज्यादा लंबा कर दिया गया तो वे कर्मचारियों (Workers) की छंटनी करेंगे। इससे पहले 43 फीसदी स्टार्टअप ने अप्रैल-जून में कर्मचारियों के वेतन में 20-40 प्रतिशत की कटौती करना शुरू कर दी है।
सर्वे के दौरान 96 फीसदी निवेशकों (Investors) ने यह माना कि स्टार्टअप में उनका निवेश (Funding) कोरोना से प्रभावित हुआ है। वहीं 92 फीसदी ने कहा कि अगले छह महीनों में स्टार्टअप में उनका निवेश कम रहेगा। फिक्की के महासचिव दिलीप चिनॉय के अनुसार, ‘इस समय स्टार्टअप सेक्टर अस्तित्व के संकट से गुजर रहा है। निवेश का सेंटीमेंट तो मंदा ही है और अगले महीनों में भी ऐसा ही रहने की आशंका है। वर्किंग कैपिटल (Working Capital) और कैश फ्लो (Cash Flow) के अभाव में स्टार्टअप अगले 3 से 6 महीने में बड़े पैमाने पर छंटनी कर सकते हैं।’ कम फंडिंग (Funding) ने स्टार्टअप्स को व्यावसायिक विकास और विनिर्माण गतिविधियों को आगे बढ़ाने को फिलहाल टालने पर मजबूर किया है। उन्हें अनुमानित ऑर्डर का नुकसान हुआ है, जिससे स्टार्टअप कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सर्वेक्षण में स्टार्टअप्स के लिए एक तत्काल राहत पैकेज (Package) की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें सरकार से संभावित खरीद ऑर्डर, कर राहत (Tax Rebate), अनुदान, आसान कर्ज (Easy Loan) आदि शामिल हैं।