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स्वदेशी कोवैक्सीन का पहला क्लिनिकल ट्रायल सफल, नहीं देखने को मिला कोई प्रतिकूल प्रभाव

स्वदेशी कोवैक्सीन का पहला क्लिनिकल ट्रायल सफल, नहीं देखने को मिला कोई प्रतिकूल प्रभाव |

आम मत | नई दिल्ली

भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के क्लीनिकल ट्रायल के प्रथम चरण के परिणाम सामने आ गए हैं। इस परिणाम ने लोगों के साथ-साथ कंपनी को भी राहत दी है। कंपनी की ओर से बुधवार को कहा गया है कि पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल में वैक्सीन ने शरीर में एंटीबॉडी बनाई है और इस दौरान कोई प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है।

कंपनी ने कहा कि प्रथम चरण के टीकाकरण के बाद कोई गंभीर परेशानी नहीं हुई और जो थीं वो दवा के बिना तेजी से ठीक हो गईं। इंजेक्शन जहां लगाया गया, उस जगह पर उठा दर्द भी खुद ब खुद ही ठीक हो गया। उल्लेखनीय है कि कोवैक्सीन उन तीन वैक्सीन में शामिल है जिनके आपातकालीन इस्तेमाल के लिए सरकार के पास आवेदन किया गया है।

कुल 375 वॉलेंटियर्स पर किया गया परीक्षण

कुल 11 अस्पतालों में अलग-अलग स्थानों, 375 स्वयंसेवियों को परीक्षण में शामिल किया गया था। पोर्टल ‘मेडआरएक्सआईवी’ पर उपलब्ध कराए गए नतीजों के मुताबिक टीके ने एंटीबॉडी तैयार करने काम किया। गंभीर असर की एक घटना सामने आई, जिसका टीकाकरण से कोई जुड़ाव नहीं पाया गया। इसमें बताया गया है कि वैक्सीन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर रखा गया। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इसी तापमान पर अलग-अलग टीकों को रखा जाता है।

न्यूक्लिक एसिड परिणाम नकारात्मक आने पर प्रतिभागी को 22 अगस्त को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह मामला टीका के साथ जुड़ा हुआ नहीं था।’ भारत बायोटेक की संयुक्त निदेशक सुचित्रा इला ने बीते दिनों उम्मीद जताई थी कि सुरक्षा और क्षमता के आंकड़ों के साथ कोवैक्सीन अगले साल की पहली तिमाही में उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने कहा था कि वैक्सीन को साल 2021 की पहली तिमाही में भारत सरकार की टीककरण की चरणबद्ध योजना के अनुसार पहली कैटेगरी दिए जाने की उम्मीद है।

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