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लोन मोरेटोरियमः सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार, कहा- लोगों की दुर्दशा समझें

भारत का सुप्रीम कोर्ट

आम मत | नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा आम लोगों की दिवाली अब आपके हाथों में है। आम लोगों की दुर्दशा समझिए। आप सही फैसले के साथ कोर्ट में आइए। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार एक सही फैसले के साथ कोर्ट में आएगी। मामले पर अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी।

शीर्ष कोर्ट के तीन जजों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। इससे पहले सुनवाई में व्यक्तिगत कर्जदारों की ओर से पिटीशंस में कहा गया कि बैंक ने ब्याज पर ब्याज लेना शुरू कर दिया है। इसलिए इसे तुरंत रोकने की जरूरत है।

जबकि रियल इस्टेट की संस्था क्रेडाई की ओर से कहा गया कि हम इससे बाहर हैं। हमें कहा गया है कि बैंकों के साथ हम इस समस्या का हल निकालें। हालांकि बिल्डर जिन दिक्कतों का सामना कर रहे हैं उसका यह जवाब नहीं है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आपने पहले ही 2 करोड़ रुपए तक के लोन लेने वालों को फायदा दिया है। इसे अमल को लेकर क्या योजना है। इस पर वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इसे पहले ही अमल में लाया जा चुका है। चूंकि काफी बड़ा नंबर है, इसलिए इसे आगे भी पूरा किया जाएगा। 

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा- बैंकों को नहीं मिला कोई निर्देश

बेंच ने कहा कि आम लोग इस बात से चिंतित हैं कि सरकार ने केवल 2 करोड़ रुपए तक के लोन वालों के लिए यह फैसला लिया है। सुनवाई के दौरान वकील श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार ने बहुत ही सीमित तरीके से अपना रूख बताया है। बैंकों को अब तक कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। बेंच ने कहा कि आरबीआई ने कहा कि सब हो गया, हर कोई यही कह रहा है कि सब कुछ हो गया। इस बारे में कोई सवाल नहीं है। लेकिन, कब हुआ? आपको इसके लिए एक महीने का समय चाहिए?

छोटे कर्जदारों के लिए भी लेने होंगे फैसले

दूसरे जस्टिस शाह ने कहा कि आम लोगों की दुर्दशा को भी सरकार देखे। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि सरकार के लिए यह बहुत ही कठिन है। इसके जवाब में जज ने कहा कि मिस्टर मेहता, सुनिए। आपको छोटे कर्जदारों के लिए फैसला लेना होगा। आपने किसी को कोई आदेश नहीं जारी किया है। आपको आदेश जारी करना चाहिए। इसलिए बैंक भी ऐसा कर सकते हैं।

ब्याज पर ब्याज माफ करेंगे
तुषार मेहता ने कहा कि बैंक ब्याज पर ब्याज माफ करेंगे और फिर सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा और गिनती के अलग-अलग तौर-तरीके होंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बैंक हमें उचित फॉर्मेट दे। उधर पी चिदंबरम ने कहा कि कोर्ट बैंकों से कैटेगरीज के बारे में एक बयान चाहता है और आम आदमी के लिए एक संदेश भेजा जाना जरूरी है।

शॉपिंग सेंटर एसोसिएशन के लिए पी चिदंबरम ने एक अलग से याचिका दायर की है। वे केवल सरकार, आरबीआई और कामथ समिति द्वारा उठाए गए मुद्दों को उठा रहे हैं। तुषार मेहता ने इस पर कहा कि मैं माफी चाहता हूं। कोई संदेश नहीं भेज रहे हैं। सरकार ने एक फैसला लिया है।

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