Site icon AAMMAT.in: AAM MAT NEWS

शोधः सुशांत ‘मर्डर’ की थ्योरी राजनेताओं-पत्रकारों ने फायदे के लिए उछाली

RIP SSR

– मिशिगन विश्वविद्यालय की टीम ने ट्वीट, यूट्यूब और ट्रेंड्ज को लेकर किया अध्ययन
– उन कंटेंट को मिला ज्यादा ट्रैक्शन जो निराधार मर्डर की थ्योरी को कर रहे थे प्रमोट

आम मत | नई दिल्ली

एक स्टडी के अनुसार, सुशांत सिंह मौत मामले में मर्डर थ्योरी को कुछ राजनेताओं, पत्रकारों और मीडिया हाउसेज ने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया हो सकता है। मिशिगन यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर के नेतृत्व में टीम ने यह शोध किया। शोध बताता है कि जो कंटेंट निराधार मर्डर थ्योरी को प्रमोट कर रहे थे। उन्हें सुसाइड थ्योरी की अपेक्षा में ज्यादा ट्रैक्शन मिला। “Anatomy of a Rumors: Social Media and Suicide of Sushant Singh Rajput” टाइटल वाली ये प्री-प्रिंट स्टडी बताती है कि राजनेताओं के अकाउंट्स सुशांत सिंह केस में नेरेटिव को सुसाइड से मर्डर में बदलने में अहम रहे।

7 हजार यूट्यूब वीडियो, राजनेताओं-पत्रकारों से जुड़े 10 हजार ट्वीट्स का किया विश्लेषण

रिसर्च टीम ने करीब 7,000 यूट्यूब वीडियोज और 10,000 ट्वीट्स का विश्लेषण किया, जो करीब 2,000 पत्रकारों और मीडिया हाउसेज और 1,200 राजनेताओं से जुड़े थे। शुरुआत में मामले को राजनेताओं द्वारा आत्महत्या की जगह हत्या की तरह पेश करना इसकी मुख्य वजह बना। बाद में मीडिया ने भी इसे ही फॉलो किया।

पत्रकारों ने महाराष्ट्र सरकार विरोधी नेरेटिव को पूरी ताकत से बढ़ाया आगे

स्टडी में भावनात्मक विश्लेषण बताता है कि राजनीतिक अकाउंट्स ने जुलाई के मध्य में सीबीआई जांच की मांग को लेकर समन्वित प्रयास शुरू किए जबकि पत्रकारों ने अगस्त के शुरू में महाराष्ट्र सरकार विरोधी नेरेटिव को पूरी ताकत लगाकर आगे बढ़ाया। शोध के अनुसार, इस प्रकरण में दुष्प्रचार अभियान के सबसे ज्यादा निशाने वाले पात्र रिया चक्रवर्ती, आदित्य ठाकरे, दिशा सालियन और सलमान खान रहे।

सोशल मीडिया स्पेस को प्रभावी रूप से किया गया हथियारबंदः प्रो. पाल

विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर जॉयजीत पाल ने बताया कि पूरे सोशल मीडिया स्पेस को इतनी प्रभावी रूप से हथियारबंद किया कि आप किसी भी ऐसे मुद्दे को जिसमें भावनात्मक पहलू हों, उसे किसी ऐसी बात में बदल सकते हैं जिससे पूरा देश चिपका रहे।

भाजपा ने मर्डर शब्द का ज्यादा आक्रामक तौर पर किया इस्तेमाल

शोध में पाया गया कि भाजपा से जुड़े अकाउंट्स ‘मर्डर’ शब्द का इस्तेमाल करने में अधिक आक्रामक थे। शोध में कहा गया, “डेटा दिखाता है कि राजनेताओं, खास तौर पर बीजेपी से जो जुड़े थे, ने ‘सुसाइड’ नेरेटिव की जगह ‘मर्डर’ विकल्प प्रस्तावित करने में अहम भूमिका निभाई।”

स्टडी पेपर ने ये भी इंगित किया कि मीडिया चैनल्स जिन्होंने इन स्टोरी का प्रसार किया उन्हें आर्थिक लाभ भी मिला। पाल के मुताबिक, एक विशेष मीडिया नेटवर्क को सुशांत सिंह मुद्दे पर बहुत अधिक क्लिक प्राप्त हुए।

Contributor
Do you like आममत न्यूज़ डेस्क's articles? Follow on social!
Exit mobile version