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स्टडीः देश में 2030 तक हर दूसरी गाड़ी होगी इलेक्ट्रिक, E-KUV व Wagon R इलेक्ट्रिक इस साल होंगी लॉन्च

आम मत | नई दिल्ली

एक शोध के मुताबिक, भारत में 2030 तक हर दूसरी गाड़ी इलेक्ट्रिक होगी। ये गाड़ियां भारत सरकार के 35% कार्बन उत्सर्जन घटाने के लक्ष्य में मदद करेंगी। दिल्ली जैसे शहर इस बदलाव की अगुआई करेंगे। सरकार ने 2030 तक अधिकतम इलेक्ट्रिक कार बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए FAME नाम की 3-3 साल की योजनाएं भी बनाई है। देश में फिलहाल देश में मात्र 1.6 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही हैं, लेकिन इनकी प्रगति पर नजर रखने वाले इसे तूफान से पहले की शांति मान रहे हैं।

एक्सपर्ट का मानना है कि पिछले दशक में जिस तरह ई-रिक्शा ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों के मामले में क्रांति की अगुवाई की, अगला दशक ई-स्कूटर और ई-कारों का होगा। इस साल महिंद्रा ई-केयूवी और मारुति वैगन आर इलेक्ट्रिक कार भी लॉन्च होने वाली हैं। इनकी 10 लाख से कम होगी। ये कारें 1 रुपए में दो किमी चलेंगी। वहीं, डीजल-पेट्रोल से चलने वाली कारें 5 रुपए में एक किमी चलती हैं।

निसान इंडिया के पूर्व एमडी अरुण मल्होत्रा कहते हैं, ‘मार्केट का असली चेहरा दोपहिया वाहन ही बदलेंगे। जो भारत के कुल ऑटोमोबाइल मार्केट का करीब 81% हैं।’ यूं तो एथर, रिवोल्ट, बजाज चेतक, हीरो इलेक्ट्रिक आदि कई बाइक-स्कूटर बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन इनकी बिक्री अभी बहुत ज्यादा नहीं है।

अच्छी बैटरी को लेकर पर्याप्त तैयारी

फिलहाल भारत में बैटरी के विकास पर एक्साइड, ल्यूमिनस, HBL पावर सिस्टम्स, टाटा ऑटोकॉम्प, ओकाया पावर आदि कई बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं। लगातार बढ़ते प्रोजेक्ट्स की वजह से इस सेक्टर में अगले 5 सालों में करीब 35% की दर से ग्रोथ की उम्मीद है। दिसंबर में ओला ने तमिलनाडु में बैटरी पर काम करने के लिए अपनी पहली फैक्ट्री खोलने के लिए एक MoU पर हस्ताक्षर किए हैं।

धीमी रही रफ्तार से अब भी संदेह

निसान इंडिया के पूर्व एमडी के अनुसार, इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए लाई गई सरकारी योजना FAME-2 के अंतर्गत निर्धारित समयसीमा में से आधी खर्च हो चुकी है लेकिन तय 8000 करोड़ के बजट में से 2-3% का इस्तेमाल भी नहीं हो सका है।

वे कहते हैं कि जिन इलेक्ट्रिक गाड़ियों का निर्माण हो भी रहा है, उन सभी को FAME-2 के तहत कवर नहीं किया जा रहा है। सिर्फ 3,400 इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही इसके तहत कवर हुईं, वह भी व्यावसायिक। इस बात पर क्रांति संभव भी कहते हैं कि सब्सिडी के मामले में सरकार का रवैया अब तक कंफ्यूजिंग रहा है।​​​​​​

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