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प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा-माफी मांगने से मेरी चेतना की होगी अवमानना

आम मत | नई दिल्ली

प्रशांत भूषण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना मामले में जवाब दाखिल किया। कोर्ट में दाखिल किए जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर वे अपने बयान से पीछे हटते हैं तो यह उनकी चेतना के साथ अवमानना होगी।

प्रशांत भूषण ने ट्वीट्स किए थे और उसे सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी मानते हुए अवमानना का दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयान पर दोबारा विचार करते हुए माफी मांगने को कहा था। मामले में 25 अगस्त को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को दो दिनों का वक्त दिया गया था कि वह अपने बयान पर दोबारा विचार करे।

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प्रशांत भूषण से सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्होंने कोर्ट में जो बयान दिया है उसमें उन्होंने अपने ट्वीट पर माफी नहीं मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा कि वह दोबारा अपने बयान पर विचार करें।

अटॉर्नी जनरल ने सजा ना देने की अपील की थी

इस दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि प्रशांत भूषण को सजा न दी जाए तब कोर्ट ने कहा कि हम उन्हें दोषी करार दे चुके हैं। अदालत ने कहा था कि जो लोग अपनी गलती मान लेते हैं उनके लिए वह बेहद नरम हैं।

भारत का सुप्रीम कोर्ट
प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा-माफी मांगने से मेरी चेतना की होगी अवमानना 7

अदालत ने बाद में अपने ऑर्डर में कहा था कि हमने प्रशांत भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए वक्त दिया है अगर वह इसके लिए तैयार हैं तो उन्हें 24 अगस्त तक माफीनामा पेश करना होगा। अगर माफीनामा पेश किया जाता है तो हम उस पर 25 अगस्त को विचार करेंगे।

प्रशांत भूषण ने यह कहा था जवाब में

प्रशांत भूषण ने एडवोकेट कामिनी जयसवाल के माध्यम से अपना पूरक बयान सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। अदालत को प्रशांत भूषण ने कहा कि उनका ट्वीट अपने विश्वास भरोसे का प्रतीक है और वह उस पर कायम हैं।

प्रशांत भूषण ने कहा कि लोगों का इस मामले में किया गया भरोसा भी मुझे नागरिक के दायित्व निर्वहन के लिए कहता है और ऐसे में इन विश्वास और भरोसे के लिए कोई भी माफी चाहे, वह शर्त के साथ हो या फिर बिना शर्त के माफी हो वह निष्ठाहीन और छल के सिवा कुछ न होगा।

बयान बोनाफाइड और सच्चाई पर आधारितः प्रशांत भूषण

प्रशांत भूषण ने कहा कि उनका बयान बोनाफाईड है और पूरी सच्चाई पर आधारित है लेकिन कोर्ट ने उस बयान में दिए गए तथ्यों का परीक्षण नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट को भूषण ने कहा कि अगर मैं अपने बयान से हटता हूं और एक निष्ठाहीन माफीनामा पेश करता हूं तो वह मेरी अपनी चेतना की अवमानना होगी।

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