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बिना सरकारी प्रतिनिधि बोम मीटिंग, डॉ. बीआर अंबेडकर लॉ विवि कर रहा अजूबे

आम मत | हरीश गुप्ता

जयपुर। डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय सत्र शुरू होने से पहले नई-नई अजूबे कर रहा है। पहले तो कई अजूबे सामने आ चुके हैं अब बिना सरकारी प्रतिनिधि के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (बोम) की बैठक कर नए आयाम स्थापित करने की तैयारी कर ली है।

यह वही बात हुई कि दूल्हे के बाप के बगैर बारात। बारातियों पर खर्च तो दूल्हे का बाप ही करता है। किसी भी विश्वविद्यालय में बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट या सिंडीकेट में सरकार और राज्यपाल के प्रतिनिधि के बगैर बोर्ड पूरा ही नहीं हो सकता।

सरकार की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं हुआ नामित

सूत्रों ने बताया कि विवि कुलपति डॉक्टर देव स्वरूप ने बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक की तैयारी कर डाली। अभी तक उनकी बोम में राज्यपाल और राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि नामित ही नहीं हुआ। ऐसे में अगर कोई वित्तीय फैसला हुआ तो सरकार से रुपए लेकर कौन आएगा।

बिना सरकारी प्रतिनिधि बोम मीटिंग, डॉ. बीआर अंबेडकर लॉ विवि कर रहा अजूबे | ambedkar law university
बिना सरकारी प्रतिनिधि बोम मीटिंग, डॉ. बीआर अंबेडकर लॉ विवि कर रहा अजूबे 7

कुलपति डॉ. स्वरूप ने भ्रम फैलाने के लिए वकीलों को बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट में किया शामिल

सूत्रों ने बताया कि डॉ. देव स्वरूप ने भ्रम में रखने के लिए कुछ वकीलों को बोम में रख लिया और यह मैसेज दे दिया कि सुप्रीम कोर्ट के वकील है। डॉ. देव स्वरूप विधि पृष्ठभूमि से नहीं है इसलिए उन्हें पता नहीं कि जिसका भी बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन हो रखा है वह सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर सकता है। बड़ा सवाल खड़ा होता है कि इन्हें बैठक की अनुमति शिक्षा निदेशालय से कैसे मिल गई?

विश्वविद्यालय से कॉलेजों के एफिलेशन में पड़ने वाला है बड़ा फेर

सरकार को चाहिए कि देश के किसी नामी लाॅ के प्रोफेसर को नामित कर के प्रतिनिधि के रूप में भेजें क्योंकि डॉक्टर साहब को विधि की ज्यादा जानकारी नहीं लगती। सूत्रों ने बताया कि अभी तो कॉलेजों के इस विश्वविद्यालय से एफिलेशन में बड़ा चक्कर पड़ने वाला है। कहीं इयरली एग्जाम होते हैं कहीं सेमेस्टर के हिसाब से। कहीं 5 वर्षीय हिंदी में तो कहीं अंग्रेजी में हो रहे हैं। ऐसा ना हो छात्रों पर संकट खड़ा हो जाए और वे सड़कों पर आ जाए। कारण एक और है कि कुछ जगह 5 साल का पैसा इकट्ठा जमा भी हो जाता है।

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