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कृषि विविः पेंशन में भी भेदभाव! 5 साल से कर रहे इंतजार तो कई की हाथों-हाथ शुरू

रिटायर्ड एम्पलॉइज एसोसिएशन कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन को कई बार लिख चुका है पत्र

आम मत | हरीश गुप्ता

जयुपर | श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विवि में पेंशन में भी भेदभाव किया जा रहा है। शायद यही कारण है कि कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों की चार-पांच साल से पेंशन शुरू नहीं की गई, जबकि कुछ प्रभावशाली की सेवानिवृत्ति होते ही शुरू कर दी। रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन की ओर से विवि प्रशासन को कई पत्र लिखे जा चुके हैं।

सूत्रों के अनुसार, दीनानाथ साही जो सहायक कुल सचिव पद से 2015 में रिटायर हुए उनकी पेंशन आज तक शुरू नहीं हुई है। उन्हें पेंशन परिलाभ मिल चुका है। ऐसे ही निरंजन आर्य जो पुस्तकालय सहायक पद से सेवानिवृत्त हुए। 1 साल से ऊपर हो गए अभी तक न तो पेंशन शुरू हुई और ना ही पेंशन पे-आर्डर जारी हुआ।

मृत अधिकारी की पत्नी को नहीं मिल रही पेंशन

सूत्रों की मानें तो एक अधिकारी डॉ. एमसी भार्गव की कैंसर से अप्रैल 2019 में मौत हो गई थी। उनकी पत्नी विश्वविद्यालय प्रशासन को कई पत्र लिख चुकी है। अप्रैल से अगस्त तक की पेंशन आज तक नहीं मिली है। उधर, रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन के संयोजक डॉ .हरेंद्र सिंह चीमा भी कई पत्र लिख चुके हैं।

पांच कृषि विश्वविद्यालय के मामलों के निस्तारण के लिए बनी है कमेटी

सूत्रों ने बताया कि इसके विपरीत रोटरी टिलर मामले में संदेह के घेरे में आए डॉ. एस मुखर्जी और डॉ. स्वरूप सिंह के सेवानिवृत्त होते ही सेवानिवृत्ति की सभी सुविधाएं शुरू हो गई। होनी भी चाहिए, लेकिन औरों ने क्या बिगाड़ा? उनको भी सभी सुविधाओं का लाभ दो। राज्य में 5 कृषि विश्वविद्यालय हैं। कई विश्वविद्यालयों में पेंशन के मामले लंबित थे। राज्य सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों के मामलों के निराकरण के लिए एक कमेटी बनाई और उसका संयोजक श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के कुलपति जीत सिंह संधू को बनाया गया।

राज्य सरकार पेंशनरों के भुगतान के लिए जारी कर चुकी एक करोड़ की राशि

सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने पेंशनरों के भुगतान के संबंध में एक करोड़ 30 लाख की राशि भी 9 अगस्त को जारी कर दी। वह अलग बात है कि जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के करीब 300 पेंशनर आज भी पेंशन का इंतजार कर रहे हैं।

उधर, बीकानेर और जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय में पेंशनरों को 9 सितंबर को भुगतान हो गया। सूत्रों ने बताया कि बीकानेर जोधपुर के लोगों को भुगतान के बाद विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों ने खासी चर्चा शुरू हो गई, ‘घर का पूत कुंवारा डोले….।’

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