एक्सक्लूसिवएजुकेशन

एक्सक्लूसिवः विदेशों में उच्च शिक्षा के नाम पर दलाल चला रहे अपनी दुकानें

– बुक माय यूनिवर्सिटी या बुक माय कोरोना!
– विदेशों में उच्च अध्ययन कराने वाली ‘दुकानें’ फीस के लालच में बच्चों को बाहर जाने का दबाव बना रही
– विदेशी यूनिवर्सिटी की फीस से करीब दोगुनी फीस वसूल चुके देश में बैठे ‘दलाल’

आम मत | हरीश गुप्ता

जयपुर। देश में हाई प्रोफाइल ‘दलाल’ मौजूद हैं जो विदेशों में उच्च शिक्षा अध्ययन के नाम पर अपनी दुकान चला रहे हैं। ‘लक्ष्मी’ के लालच में इन्हें न कोरोना का डर और ना ही बच्चों के जान की परवाह। दलाली भी यूनिवर्सिटी की फीस के बराबर। भाजपा के दो सांसद और कई विधायकों ने केंद्र सरकार से बच्चों को यूनिवर्सिटी से राहत दिलाने का आग्रह किया है। अभी तक सुनवाई नहीं हुई है। उधर यूनिवर्सिटी बच्चों पर क्लास अटेंड करने का लगातार दबाव बना रही है।

गौरतलब है देश के करीब 8 से 9 हजार बच्चे यूरोपियन देशों से उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें एमबीबीएस, इंजीनियरिंग और एमबीए जैसी पढ़ाई हैं, जो जॉर्जिया, यूक्रेन, तजाकिस्तान, ब्रिटेन, रूस व किर्गिस्तान जैसे देशों से कर रहे हैं। कोरोना महामारी के फैलते ही इन यूनिवर्सिटी ने भी हाथ खड़े कर दिए थे और बच्चों को देश लौटने का फरमान सुना दिया था। बाद में वंदे मातरम मिशन कार्यक्रम के तहत बच्चों को यहां वापस लाया गया।

विश्वविद्यालय की फीस 3300 डॉलर वसूले 6000 डॉलर

जानकारी के मुताबिक यहां आने के बाद बच्चों ने अभिभावकों को जानकारी दी कि यूनिवर्सिटी की फीस तो 3300 डॉलर की है, जबकि बुक माय यूनिवर्सिटी (जिसके माध्यम से एडमिशन हुआ) की कर्ताधर्ता युक्ति बेलवाल ने उनसे फीस के नाम पर 6000 डाॅलर वसूले हैं। इस पर परिजनों ने युक्ति बेलवाल से संपर्क किया और फीस की हकीकत बताई तो उसने कहा, ‘मैं पता करती हूं।’ वह अलग बात है आज तक पता नही चला।

दलाल बना रहे यूनिवर्सिटी में क्लास अटेंड करने का दबाव

अभी उन बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। उधर विदेशी विश्वविद्यालय और ‘दलाल’ छात्रों पर दबाव बना रहे हैं कि यूनिवर्सिटी में क्लास अटेंड करो। यह तो तब है, जबकि कोरोना ने हर जगह त्राहि-त्राहि मचा रखी है। इसके चलते बच्चों के अभिभावकों ने अपने-अपने सांसदों और विधायकों से केंद्र सरकार को पत्र भिजवाए हैं कि वह वहां की सरकार से बात करें।

ये सांसद-विधायक केंद्र सरकार को लिख चुके हैं पत्र

जानकारी के अनुसार, बच्चों के अभिभावकों का कहना है, ‘हम तो बच्चों को अभी नहीं भेजेंगे चाहे साल खराब हो जाए।… हमें भरोसा है सरकार हमारी सुनवाई करेगी।’ इस संबंध में अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी, नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, आहोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित, लूणी विधायक महेंद्र बिश्नोई, बाड़मेर सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल और पिंडवाड़ा आबू विधायक समाराम गरासिया विदेश मंत्री व प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह कर चुके हैं।

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