राजस्थान में कोरोना संक्रमण से नहीं थम रही मौतें, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना राम भरोसे
आम मत | हरीश गुप्ता
जयपुर। कोरोना, कोरोना, कोरोना…। हर किसी को डर है तो कोरोना से। राजस्थान में कोरोना संक्रमण की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा हैं, उसके बावजूद भी लोग मास्क पहनने में शर्म महसूस करते हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग की किसी को परवाह नहीं। फिर भी डर है तो कोरोना से। ऐसे में जब रोजाना स्थिति बिगड़ती जा रही है तो प्रदेश में एक बार फिर लाॅकडाउन क्यों नहीं लगाया जा रहा?
अकेले राजधानी में रोजाना साढ़े तीन सौ से चार सौ लोग पॉजिटिव आ रहे हैं। जांच करने वाली मशीन खुद पॉजिटिव हो गई है। कभी नेगेटिव बताती है तो दूसरी मशीन पॉजिटिव बताती है। एक दो बड़े डॉक्टरों के इस बीमारी के भेंट चढ़ने के बाद कई ‘समझदार’ डॉक्टरों ने लगभग दूरी सी बना ली है। रेजीडेंट के भरोसे चल रहा उपचार। पिस रहा है तो दूसरी बीमारी से परेशान लाचार मरीज।
राजस्थान में कोरोना संक्रमण के तहत गाइडलाइंस की पालना कराने में प्रशासन फेल
जानकारी के मुताबिक एक ओर दुकानदार रो रहे हैं, खरीदार नहीं है, फिर भी बाजारों में भीड़ कम ही नहीं हो रही। राजस्थान में कोरोना संक्रमण के तहत सरकार की गाइडलाइन की पालना कराने में प्रशासनिक अमला फेल साबित हो रहा है। सभी काम की उम्मीद पुलिस से करना भी बेमानी होगी। वैसे भी पुलिस के पास पहले से नफरी की कमी है। सरकार तो इस दिशा में बहुत कुछ कर रही है, लेकिन सरकारी आदेशों की पालना कौन कराए?
सरपंचों के चुनाव में हर और लग रहा लंगर
जानकारी के अनुसार, कई व्यापार मंडलों ने स्वेच्छा से मार्केट का समय तय किया साथ ही 2 दिन बंद रखने का भी फैसला लिया। उन्हें भी पता है भीड़ तो आ रही है, लेकिन ग्राहक नहीं। आखिर जान सभी को प्यारी है। सूत्रों ने बताया कि पंच-सरपंचों के चुनाव में डब्ल्यूएचओ (WHO) की गाइडलाइन की कितनी पालना हो रही है। जमकर लंगर चल रहे हैं, सैकड़ों जीम रहे हैं। मगर सरकारी अमले को नजर नहीं आ रहे। वोट के लिए वोटरों का हरे रंग से मन ऊब गया है। सभी को भा रहा है गुलाबी रंग। एक वोट के बदले 1 गुलाबी रंग का प्यारा सा कागज। राजस्थान में कोरोना संक्रमण फैलने की किसी को चिंता नहीं।
सरकारी महकमों में भी दबी जुबान में होने लगी लॉकडाउन लगाने की चर्चा
सूत्रों ने बताया कि आम लोग ही नहीं सरकारी अधिकारी भी चर्चा करने लगे हैं, ‘लॉकडाउन क्यों नहीं लगाया जा रहा। …लॉकडाउन की जरूरत तो वाकई में अब है। लोगों को गाइडलाइन ही समझ नहीं आ रही, ऐसे में लॉकडाउन नहीं लगाया गया तो बहुत बुरे हालात खड़े हो सकते हैं। वैसे अभी भी हालात बेकाबू हो चुके हैं।
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