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नई शिक्षा नीति से स्वामी विवेकानंद की परिकल्पना होगी साकारः शिक्षामंत्री

आम मत | नई दिल्ली

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने शुक्रवार को संपूर्ण विकास के लिए “राष्ट्रीय शिक्षानीति: मुद्दे, चुनौतियां, भविष्य का मार्ग” विषय पर एक वेबीनार को संबोधित किया। यह वेबीनार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, जेएनयू द्वारा रिसर्च फॉररिसर्जेंस फाउंडेशन (आरआरएफ) के सहयोग से आयोजित किया गया। देश और विदेश से 125 लोग इस वेबीनार में शामिल हुए।जेएनयू के आधिकारिक फेसबुक पेज के द्वारा कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग से 7000 से अधिक लोगों ने इसे देखा और सुना।

इस अवसर पर अपने संबोधन में पोखरियाल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति  दुनिया की उन कुछ चुनिंदा नीतियों में से एक है जिस पर बहुत विस्तार और सघन रूप से विचार विमर्श किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्रों को संपूर्ण शिक्षा प्रदान कर उनके चरित्र को आकार देने पर केंद्रित की गई है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह नीति निश्चित रूप से देश के भीतर ही विश्व स्तरीय शोध सुविधाएं और अवसर प्रदान कर ‘भारत में अध्ययन’ और ‘भारत में निवास’ की स्वामी विवेकानंद की परिकल्पना को साकार करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति की एक विशिष्ट खूबी दुनिया में“ वसुधैव कुटुंबकम “की भावना को बढ़ावा देना है। पोखरियाल ने मातृभाषा में शिक्षा दिए जाने पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाने के लिए यह आवश्यक है। उन्होंने गांधीजी के बोलों को याद करते हुए कहा कि प्रत्येक गांव एक गणराज्य है और उन तक शिक्षा का प्रकाश पहुंचना चाहिए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रारूप समिति के अध्यक्ष प्रो.के. कस्तूरीरंगन ने शिक्षा नीति की रूपरेखा, उसके महत्व और विशिष्ट खूबियों को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार से कठिन परिश्रम और समर्पण के साथ नई शिक्षा नीति को सभी हितधारकों से विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत और गहन विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया।

लाभकारी संसाधनों का हो पाएगा पूंजीकरणः प्रो. कस्तूरीरंगन

प्रो. कस्तूरी रंगन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत में उसकी आबादी के रूप में उपलब्ध लाभकारी संसाधनों का पूंजीकरण कर चौथी औद्योगिक क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भविष्य के लिए शिक्षा की परिकल्पना अंतर्निहित है जोकि हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों को सतत विकास के लक्ष्यों के साथ जोड़ने में मददगार बनेगी।

अपनी तरह की पहली नीतिः प्रो. कुमार

जेएनयू के कुलपति प्रो. एम जगदीश कुमार ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की स्वतंत्रता के बाद अपनी तरह की यह पहली नीति है। उन्होंने कहा कि जेएनयू राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों के सामने उदाहरण प्रस्तुत कर नेतृत्व करने को तैयार है। प्रो. जगदीश कुमार ने बताया कि जेएनयू के शिक्षाविदों के विभिन्न लेखों को पुस्तक के रूप में जल्दी ही उपलब्ध कराया जाएगा और यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संबंध में जागरूकता लाने में मददगार होगी।

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